hindisamay head


अ+ अ-

कविता

जागिए ब्रजराज कुँवर कमल-कुसुम फूले

सूरदास


जागिए ब्रजराज कुँवर, कमल-कुसुम फूले।
कुमुद-बृंद संकुचित भए, भृंग लता भूले।
तमचुर खग-रोर सुनहु, बोलत बनराई।
राँभति गो खरिकनि मैं, बछरा हित धाई।
विधु मलीन रवि प्रकास गावत नर नारी।
सूर स्याम प्रात उठौ, अंबुज-कर-धारी।।


End Text   End Text    End Text

हिंदी समय में सूरदास की रचनाएँ